Sunday, April 13, 2008

पोते के हाथों दादी चढ़ी सूली!


कोल्हापुर की घटना ....जिस में कमरा अलग न मिलने के कारण दादी को पोते ने ही मार दिया...पढ़ कर बड़ा ही दुःख हुया। हमारी धार्मिक परंपराओ के अनेक नियम हैं जिस की सहायता से परिवार के सदस्य ठीक तरर से रहकर उन्नति कर सकते हैं। परिवार में जन्म से लेकर मृत्यु तक सारे संस्कारोंके लिये वयोवृद्ध अर्थात् बड़े बुजुर्ग ही उत्तरदायी होते हैं। अगर बड़े बुजुर्गों का यही हाल रहा तो युवा पीडी़ अधर्ममय व्यसनों में पड़ कर देश समाज का सत्यानाश कर देगी, मैं तो कईं बार सोचती हूं कि इस के लिये शिक्षा-प्रणाली का ज़्यादा दोष है..हम लोग जब पढ़ते थे तो एक विषय अयोध्या कांड का होता था ...टीचर उस समय बीच बीच में कईं महापुरूषों की कथायें सुना दिया करते थे ( मैं स्टेट जम्मू-कश्मीर के मीरपुर जो आजकल पाकिस्तान में है से पढ़ी हुई हूं और वहीं से ही 1947 में मैंने मैट्रिक पास किया है। .....तब के संस्कार आज तक पड़े हुये हैं...जब तक सुबह रामायण-गीता या कोई और धार्मिक पुस्तक न पढ़ लूं तो ऐसे लगता है पता नहीं जैसे आज कुछ किया ही नहीं ।
संतोष चोपडा़